(धीमी शहनाई, हल्की तबले की थाप…)
अंधेरी राहें, खोया मैं,
फिर भी जलती ये लौ है।
एक योद्धा अकेला, फिर भी अडिग,
चले संग आँधियाँ, पर कदम न डिग।
बेबसी के साये, घनेरे घाव,
फिर भी इरादे, ना झुके, ना थम जाओ।
(ढोल की गूँज… बेस गिटार लहराए…)
ना कोई तमगा, ना कोई शान,
बस दर्द की आग, और वीरान जहान।
(ओ… ओ… ओ… दिल में जंग का शोला…)
मैं जलूँ, मैं चलूँ, मैं मिटूँ, फिर उठूँ,
इस क़सक में जियूँ, इस क़सक में मरूँ।
कोई देखे न देखे, सुने न सुने,
फिर भी इस रण में मैं अकेला चलूँ।
(ढोल-ताशे का ज़ोर, बीट ड्रॉप के साथ…)
राहों में राख, हाथों में जख़्म,
फिर भी ये दिल रहे बेख़ौफ़, बेदम।
ख़्वाब बिखरें, कोई रोके कदम,
पर हौसलों की चिंगारी है अब भी संग।
(गिटार सोलो… शहनाई की गूँज…)
टूटा हूँ, पर झुका नहीं,
अकेला हूँ, पर रुका नहीं।
दर्द से कह दो— हार गया तू,
इस योद्धा ने क़सम खाई है!
(ओ… ओ… ओ… आग सी जलती रूह…)
मैं जलूँ, मैं चलूँ, मैं मिटूँ, फिर उठूँ,
इस क़सक में जियूँ, इस क़सक में मरूँ।
कोई देखे न देखे, सुने न सुने,
फिर भी इस रण में मैं अकेला चलूँ।
(ढोल, ताशे और गिटार की आख़िरी गरज…)
(धीमे तबले की थाप… fading strings…)
अंधेरी राहें, खोया मैं,
फिर भी जलती ये लौ है…