Verse 1:
बोर्डरूम की ऊँचाई से आया ऐलान,
"रविवार क्यों? बढ़ाएं काम का अभियान।"
"घर में क्या करोगे? कितना तकोगे दीवार?"
"ऑफिस आओ, दिखाओ अपने काम का प्यार।"
Chorus:
आओ, रविवार को 'सन-ड्यूटी' कहें,
सप्ताहांत में भी काम करें।
प्रगति की खोज में, कौन चाहता है आराम?
दोनों सिरों से जलाओ मोमबत्ती, यही है सच्चा काम।
Verse 2:
"पछतावा है, सातों दिन काम नहीं करा सकता,"
"घर पर खाली बैठना? यह उत्पादक नहीं लगता।"
"ऑफिस आओ, मेहनत करो,
90 घंटे का हफ्ता कंपनी को जिंदा रखेगा।"
Chorus:
आओ, रविवार को 'सन-ड्यूटी' कहें,
सप्ताहांत में भी काम करें।
प्रगति की खोज में, कौन चाहता है आराम?
दोनों सिरों से जलाओ मोमबत्ती, यही है सच्चा काम।
Bridge:
लेकिन उठते हैं स्वर इस थकावट के खिलाफ,
संतुलन की पुकार, मन की शांति के लिए।
धन क्या है, बिना स्वास्थ्य के आलिंगन के?
एक खोखली दौड़, भयंकर झंझट।
Chorus:
आओ, रविवार को 'सन-ड्यूटी' कहें,
सप्ताहांत में भी काम करें।
पर अंत में, हमें अपना रास्ता ढूंढना होगा,
काम और जीवन का संतुलन बनाना होगा, और हर दिन को संजोना होगा।