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(अंतरा 1)
तेरे बिना अधूरा सा मैं,
जैसे कोई गीत बिना साज़ के।
हर लम्हा तुझको सोचूं मैं,
जैसे कोई दुआ हो राज़ के।
(कोरस)
टूट गया दिल, अब क्या बचा है,
तेरी यादों का ही तो सहारा बचा है।
आँखें भी अब रोती हैं चुपचाप सी,
जैसे कोई सपना अधूरा सा रह गया है।
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(अंतरा 2)
तेरी हँसी अब ख्वाबों में मिलती है,
सांसों में बस तू ही तू दिखती है।
तेरे बिना जो चलूं तो लगता है,
जैसे ज़िन्दगी भी थम सी गई है।
(कोरस दोबारा)
टूट गया दिल, अब क्या कहें हम,
जिसे चाहा वही सबसे दूर हो गया कम।
लबों पर तेरा नाम ही अब भी है,
पर तू मेरे साथ नहीं, बस यादों में है।
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(ब्रिज / क्लोज़िंग लाइन)
अगर कभी लौट आओ तो देखना,
अब भी तेरा इंतज़ार करता है ये दिल।
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