(अध्याय 1: संघर्ष का आरंभ)
अंधकार में एक दीप जले,
धर्म की भूमि पर प्रश्न उठे।
जय श्री राम के नारे गूंजे,
अयोध्या के आकाश को छू लें।
आस्था थी, पर मार्ग कठिन,
हर भक्त के दिल में अग्नि थी छिपन।
संघर्ष की चिंगारी से जोश जगा,
रामलला के नाम पर सबकुछ लुटा।
(अध्याय 2: बलिदान और तपस्या)
लाखों ने अपना जीवन दिया,
धर्म की राह पर सत्य जिया।
पथरीले रास्ते, कांटों के बिछाव,
फिर भी न रुका राम का बुलावा।
माँ ने बेटे को विदा किया,
पिता ने धरती को प्रणाम किया।
हर कदम पर आँसुओं का बहाव,
आस्था का बना एक मजबूत नाव।
(अध्याय 3: न्याय की जीत)
न्याय का घंटा बज उठा,
हर भक्त का हृदय सज उठा।
संघर्ष का फल मीठा लगा,
रामलला का घर साकार हुआ।
हर ईंट में बसी एक कथा,
हर मूर्ति में भक्तों की भावना।
त्याग, तप और बलिदानों का मेल,
बना अयोध्या का सबसे बड़ा खेल।
(अध्याय 4: गौरवशाली निर्माण)
देखो वो स्वर्णिम मंदिर खड़ा,
विश्व ने देखा ये अद्भुत बड़ा।
संस्कृति, इतिहास का जो मेल है,
राम मंदिर का यही खेल है।
हर दीप से चमके अयोध्या नगरी,
सदियों तक ये कथा अमर बने।
जय श्री राम का नारा लगे,
हर भक्त का सपना सच बने।
(कोरस: हर बार)
जय श्री राम, जय श्री राम,
हर दिल से उठे यही नाम।
संघर्ष से जो हमने पाया,
वो राम मंदिर है, रामलला का धाम।
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