जय-जयकार का है ये बाग,
अशोक सम्राट की कहानियों का आगाज।
खुद पे किया जिसने भरोसा,
भारत मां का वो है पराक्रमी खजाना।
नफरत की जंजीरों को तोड़ा,
बुर्जा धम्म को वो लेकर आया।
जय-जयकार करो सब भाई,
अशोक सम्राट की गाथा गाई।
धम्म चक्र जो उसने घुमाया,
शांति का संदेश फैलाया।
कोरी किताब से नहीं वो,
जिंदगी में सच्चाई था उसका गंध।
कलिंग के रण में उसने किया था,
प्यार का जोरण, अब सुनो बताओ।
जय-जयकार करो सब भाई,
अशोक सम्राट की गाथा गाई।
बुद्ध की राह पर वो चला,
धम्म का दीप वो सदा जलाता।
शांति की फसल को बोता,
सच के मक्का को वो उगाता।
अहिंसा की आवाज को सुना,
न्याय के साथ हर दिल को जीता।
आज भी उसकी बातें हैं जिंदा,
हम सबको मिलकर करें स्वीका।
जय-जयकार करो सब भाई,
अशोक सम्राट की गाथा गाई।
धम्म चक्र जो उसने घुमाया,
शांति का संदेश फैलाया।
[Solo]
(धुन में मधुर बांसुरी की तान)
जय-जयकार करो, सुनो सब भाई,
अशोक सम्राट की गाथा गाई।
हम सब मिलकर गाएंगे,
शांति का दीप जलाएंगे।
-जय-जयकार!