धन की चमक नहीं, ये खुशियों की झलक नहीं,
सच्चा सुख कहां, जहां सब हैं अंधेरे में झलक नहीं।
एक व्यापारी था, बौना था उसका मन,
धन के पीछे भागता, सच्चा सुख हुआ अदृश्य सहन।
धन से बड़ा था ना, खुद का कोई निर्मल सपना,
बाहर से हंसता था, अंदर से था बस चुप्पा।
खुशियां ढूंढो, सेवा की राह में,
परोपकार का जादू, सुख है उस आस में।
धन का सही उपयोग, वो है जीवन का खेल,
सच्चा सुख उभरता, जब होता है दिल का मेल।
एक दिन उसने देखा, एक गरीब की आंख में आंसू,
चिंताओं से भरा, वो देख रहा था आसमान का खुशबू।
हालात के थपेड़ों से, वो कैसे था जूझता,
व्यापारी ने समझा, तभी ये दिल उसका बुझता।
खुशियां ढूंढो, सेवा की राह में,
परोपकार का जादू, सुख है उस आस में।
धन का सही उपयोग, वो है जीवन का खेल,
सच्चा सुख उभरता, जब होता है दिल का मेल।
एक नया सफर शुरू किया, उसने संकल्प लिया,
गरीबों की मदद, अब उसका कर्म बन गया।
सुख की खूँज में जानने लगा वो,
सच्चा धन है प्यार, यही शांति की परख है।
[Solo]
(गिटार का मधुर सोलो, हृदय का सुख लाए)
खुशियां ढूंढो, सेवा की राह में,
परोपकार का जादू, सुख है उस आस में।
धन का सही उपयोग, वो है जीवन का खेल,
सच्चा सुख उभरता, जब होता है दिल का मेल।
सच्चा सुख कहां, नहीं धन की चाल में,
सेवा, परोपकार, यही हो जीवन की ताल में।
सुख की दौलत, ये है भारतीय असली पहचान,
चलो सच्चा मार्ग अपनाएं, मिले हम सबको शांति का वरदान।
[Fade-Out]
(धीरे-धीरे स्वर कम होते हैं, दिल की आवाज़ सुनाई देती है)
"सच्चा सुख, सच्चा धन, प्यार की राह पकड़ो..."