मंगलाचरण
शकूना दे शकूना दे सव सिद्ध, काज ये अति नीको शूकना बोल्या ।
दाईना बजन छन, शॅख शब्द, दैणी तीर भरियो कलेश ।
अति नीको सो रंगोलो, पटलोआँचली कमलै को फूल ।
सोही फूलू मौलावन्त, गणेश रामीचन्द्र लछीमन लवकुश,
जीवा जनम आध्या अम्बरू होय ।
सोही पाट पैरी रहना, सिद्धि बुद्धि सीतादेही बहुराणी ।
आयुवन्ती पुत्रवन्ती होय सोही फूलू मोलावन्त
(परिवार को पुरुषों के नाम )
जीवा जनम आध्या अम्बरू होय ।
सोही पाट पैरी रहा, सिद्धि बुद्धि
(परिवार की महिलाओं के नाम सुन्दरी, मंजरी आदि)
आयुवन्ती पुत्रवन्ती होय ।।
गणेश पूजा के शकुनाखर –
जय जय गणपति, जय जय ए ब्रह्म सिद्धि विनायक।
एक दंत शुभकरण, गंवरा के नंदन, मूसा के वाहन।
सिंदुरी सोहे, अगनि बिना होम नहीं, ब्रह्म बिना वेद नहीं,
पुत्र धन्य काजु करें, राजु रचें।
मोत्यूं मणिका हिर-चौका पुरीयलै,
तसु चौखा बैइठाला रामीचन्द्र लछीमन विप्र ऐ।
जौ लाड़ी सीतादेही, बहुराणी, काजुकरे, राजु रचै॥
फुलनी है, फालनी है जाइ सिवान्ति ऐ।
फूल ब्यूणी ल्यालो बालो आपू रुपी बान ऐ॥
निमंत्रण/ सुवाल पथाई के शकुन आखर लिरिक्स –
सूवा रे सूवा, बनखंडी सूवा,
रे जा सूवा घर-घर न्यूत दी आ।
हरियाँ तेरो गात, पिंगल तेरो ठून,
रत्नन्यारी तेरी आँखी, नजर तेरी बांकी,
जा सूवा घर-घर न्यूत दी आ ,गौं-गौं न्यूत दी आ।
नौं न पछ्याणन्यू, मौ नि पछ्याणन्यूं, कै घर कै नारि
दियोल?
राम चंद्र नौं छु, अवध पुर गौ छु, वी घर की नारी कैं न्यूत
दी आ ।
सूवा रे सूवा, बनखंडी सूवा,
जा सूवा घर घर न्यूत दी आ
गोकुल गौं छू, कृष्ण चंद्र नौं छु, वी घर की नारी कैं न्यूत
दी आ।
सूवा रे सूवा, बनखंडी सूवा, जा सूवा घर-घर न्यूत दी
आ।
कैलाश गौ छू, शंकर उनर नु छू, वी घवी नारी न्यूत दी
आ।
सूवा रे सूवा, बनखंडी सूवा,
जा सूवा घर-घर न्यूत दी आ
अघिल आधिबाड़ी, पछिल फुलवाड़ी, वी घर की नारी
कैं न्यूत दी आ।
हस्तिनापुर गौं छ, सुभद्रा देवी नौं छ, वी का पुरुष को
अरजुन नौं छ,
वी घर, वी नारि न्यूंत दी आ।
सूवा रे सूवा, बणखंडी सूवा,
जा सूवा घर-घर न्यूत दी आ