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मुखड़ा):
लफ़्ज़ पर आ गया है दिल, अब न चुप रह पाएगा,
इश्क़ का अफ़साना फिर से, हर सदा दोहराएगा।
दिल की बात कह दी हमने, अब जो होगा देखा जाएगा,
लफ़्ज़ पर आ गया है दिल, अब न चुप रह पाएगा...
रूह से निकली है सदा, हुस्न का पैग़ाम लिए,
तेरा नाम लिख दिया है, साँस की हर शाम लिए।
तेरे ज़िक्र में बसी है, मेरी सारी बंदगी,
अब तुझे ही मांगता है, मेरी हर एक बंदगी।
लफ़्ज़ लफ़्ज़ बन गया है इश्क़ की तहरीर सा,
तेरा ज़िक्र है किताबों में किसी ताज़ीर सा।
जब भी तू सामने आया, सब जहां भूल गया,
तेरे सजदों में ही जैसे, मेरा रस्ता खुल गया।
तेरी खामोशी भी अब, इक दुआ सी लग रही,
तेरे होंठों की हर हँसी, बेक़रारी कह रही।
लब हिले तो ग़ज़ल निकली, नज़रें झुकी तो रहमतें,
तेरे इश्क़ में भीगती हैं, मेरी सारी हसरतें।
अब तवाफ़ तेरा ही है, दिल ये मेरा काबा है,
तेरे दर पे झुक गया जो, बस वही तो ताबा है।
लफ़्ज़ बोले या ना बोले, तू तो सब समझ गया,
तेरे दिल से दिल का रिश्ता, रूह तक उतर गया।
अब जो कह दिया है हमने, लौट के ना आएगा,
इश्क़ का दीवाना तुझसे, और क्या कर पाएगा।
लफ़्ज़ पर आ गया है दिल, अब न चुप रह पाएगा...
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Sound Of Meme

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