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Kalyug ka sach

Kalyug ka sach

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hip hop

rap

indian

Lyrics

[इंट्रो - धीमे बीट पर spoken word feel]

ये वो दौर है जहाँ नक़ाब ही चेहरा है,

सच बोलो तो दुश्मन, झूठ बोलो तो हीरो।

कलयुग है भाई… यहाँ इंसान नहीं, किरदार चलते हैं।

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[Verse 1]

आँखों में धुआँ, ज़ुबां पर मीठा ज़हर,

पीठ पीछे वार करे, बोले "भाई तू तो बेहर"।

धर्म के नाम पे दंगे, नेता बने व्यापारी,

राम का नाम बेच के बन बैठा वो पुजारी।

गरीब की थाली सूनी, अमीर के कुत्ते मोटे,

न्याय की आंखें बंद, यहाँ सबके नोटें खोटे।

मंदिर में घंटी बजे, दिलों में सन्नाटा,

इंसानियत मरी पड़ी, पर सब कहते बढ़िया।

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[Hook/Chorus - ज़ोरदार बीट पर]

ये कलयुग का सच है, देख आँख खोल के,

सफेद पोश नक़ाब में हैं सौ-सौ चोर रे।

नियम तोड़ने वाले ही बनते नेता,

सच बोलने वाले को समझते गैदा।

ये कलयुग का सच है, भाई तू भी समझ ले,

यहाँ इंसान बिकते हैं ऐप्स के बजट पे।

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[Verse 2]

सिस्टम है बीमार, इलाज नहीं मिलता,

सच्चे को सजा, झूठा बेल पर फिरता।

स्कूल में ज्ञान नहीं, बस मार्कशीट का धंधा,

माँ-बाप भी पूछें - बेटा पैकेज कितना?

कर्म की बातें फाइलों में दबी हैं,

आशाओं की लाशें रेल की पटरी पे गिरी हैं।

रिश्ते हैं सस्ते, भावनाएँ अब बोझ,

दुनिया हुई डिजिटल, दिल हुए खोज।

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[Hook/Chorus - Repeat]

ये कलयुग का सच है, देख आँख खोल के,

सफेद पोश नक़ाब में हैं सौ-सौ चोर रे।

नियम तोड़ने वाले ही बनते नेता,

सच बोलने वाले को समझते गैदा।

ये कलयुग का सच है, भाई तू भी समझ ले,

यहाँ इंसान बिकते हैं ऐप्स के बजट पे।

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