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कैलाश का प्रेम | AI Song Generator | AI Music | AI Music Maker

कैलाश का प्रेम

कैलाश का प्रेम

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Devotional

Bhajan

Folk

Lyrics

कैलाश के शिखर पर, प्रेम ज्योत जल रही,

शिव शंभू और गौरी, कहानी अमर रही।

सागर सा गहरा, ये बंधन अपार,

हर जन्म में उनका, अमिट है प्यार।

चंद्रमा की शीतलता, गंगा का बहाव,

पार्वती की ममता, शिव का स्वभाव।

ओह, प्रेम का ये धागा, बंधा है ना टूटे,

संकट में साथ है, हर क्षण में झूले।

शिव पार्वती, सच्चे प्रेम के प्रतीक,

हर दिल में बसी, भक्ति की संगीत।

योगी का दिल भी, प्रेम में बंधा,

हर सांस में गौरी, हर दृष्टि में रमा।

शिव की समाधि में, पार्वती की आस,

जन्मों का संग है, सदा का विश्वास।

अर्धनारीश्वर रूप में समाए,

प्रेम का ये बंधन, जग को सिखाए।

डमरू की ध्वनि में, स्नेह की पुकार,

त्रिशूल की गूंज में, प्रेम अपार।

ओह, प्रेम का ये धागा, बंधा है ना टूटे,

संकट में साथ है, हर क्षण में झूले।

शिव पार्वती, सच्चे प्रेम के प्रतीक,

हर दिल में बसी, भक्ति की संगीत।

[Solo]

(Instrumental با flute and tabla)

हर भक्त के मन में, ये प्रेम कहानी,

शिव और गौरी की, व्रत-रसम निभानी।

हर युग में गूंजे, ये अमर गीत,

शिव पार्वती का, पावन संगीत।

कैलाश के शिखर पर, प्रेम ज्योत जल रही,

शिव शंभू और गौरी, कहानी अमर रही।

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