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Devotional
Religious
Bhakti
जय नरसिंह की भक्ति, मीठा भव्य राग,
धर्म की ज्योति में तेरी, कर दे सबका भाग।
जय नरसिंह देव, जय जय महाराज,
भक्त प्रह्लाद के तुम, साक्षात समाज।
हिरण्यकश्यप का अंत किया,
धर्म की रक्षा का दीप जला।
गरज उठी गगन में तेरी हुंकार,
सिंह रूप में आया तू बारंबार।
अर्ध-मानव रूप, दिव्य तेरी चाल,
तेरे चरणों में सारा संसार।
जय नरसिंह, करुणा के सागर,
तेरे दर्शन से मिटे अंधकार।
शरण में तेरी जो जन आए,
कष्ट सभी उनके दूर भगाए।
ध्रुव का प्रेम, तारा सा चमके,
तेरे नाम की गूंज, सब जग में झमके।
सच्चे मन से जो तुझको पुकारे,
तेरे प्रति जोड़ दे, हर दर्द सारे।
हे नाथ, धारण कर ले, ये सब कर्ज़,
भक्त की दोहाई में सुनो ऐ ऊर्ज।
सिंह की गूंज से हो जाए,
हर मन की पीड़ा का अंत युहीं।
भक्त तेरे गाते नाम तुम्हारा,
शुद्ध प्रेम से करते पुकारा।
तू है पालक, तू है त्राता,
हर युग में तू ही है दाता।
जय नरसिंह, करुणा के सागर,
तेरे दर्शन से मिटे अंधकार।
शरण में तेरी जो जन आए,
कष्ट सभी उनके दूर भगाए।
[Solo]
[Instrumental interlude, joyful flute and drums]
[Outro]
जय नरसिंह देव, जय जय महाराज,
तेरे चरणों में सदा हो विराज।
सिंह गर्जना से निकले प्रकाश,
सारे जग में फैले तेरा विश्वास.
जय नरसिंह!
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