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[अंतरा 1]
तेरे जाने के बाद, कुछ भी तो वैसा नहीं,
जो भी था रौशनी, अब लगता है धुआं सा कहीं।
तेरे होने से था, जो मेरा हर एक सुकून,
अब तन्हा सी लगती है, ये हर शाम और हर जून।
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[कोरस]
जो मेरा था… अब मेरा नहीं,
तेरे साथ था… अब तेरा नहीं।
मैं ढूंढता हूँ तुझमें ही खुद को,
पर तू अब मुझमें बचा ही नहीं।
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[अंतरा 2]
तेरी बातों में जो मिठास थी,
अब वो खामोशी में जलती है।
तेरा नाम जो कभी दुआ सा था,
अब अधूरी कहानी सी लगती है।
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[कोरस दोहराव]
जो मेरा था… वो लम्हा गया,
तेरे बिना अब कुछ भी नया नहीं लगा।
मैं जिंदा हूँ, पर जैसे ठहरा हूँ,
तेरे बिना अब कुछ भी मेरा नहीं रहा।
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[ब्रिज – धीमी वायलिन वाली जगह]
मैं वक़्त से नहीं, तुझसे पीछे रह गया,
तू आगे बढ़ गया… मैं वहीं कहीं रह गया।
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[फिनाले कोरस – सॉफ्ट एंडिंग]
जो मेरा था… शायद अब तेरा है,
तेरे बिना ही अब मेरा सवेरा है…