मुखड़ा)
तेरी रहमतों का दरिया, हर साँस में बहता है,
हम तो हैं बेकस से भी कम, तू ही तो सहारा है।
लब पे तेरा ज़िक्र है, दिल में तेरा नूर,
हमको तो बस तेरा ही दर चाहिए, या हुज़ूर।
---
(अंतरा 1)
तेरे ही सदक़े में ये चाँद भी रोशन है,
तेरी ही मेहर से मेरा हर जज़्बा पावन है।
ज़ुल्फ़ों की छाँव में, रूह को राहत मिली,
तेरे इश्क़ में ही तो मेरी दुनिया सजी।
---
(अंतरा 2)
सजदा मेरा तुझ पे, मेरा सिर झुका रहे,
तेरी ही इबादत में ये दिल डूबा रहे।
हर तन्हा मोड़ पे, तेरा नाम लिया,
तेरे नूर से ही तो अंधेरा मिटा।
---
(अंतरा 3)
सूफ़ी का कलाम भी तुझसे ही रौशन है,
दिल की हर आवाज़ तुझ तक ही पोहचती है।
बेख़ुदी में डूब कर, मैंने खुद को पाया,
तेरे फनाओं में ही तो मेरा अस्तित्व आया।
---
(मुखड़ा दोहराव)
तेरी रहमतों का दरिया, हर साँस में बहता है,
हम तो हैं बेकस से भी कम, तू ही तो सहारा है...
---