अंतरा 1:
घूँघट में छुपलो चांद लागे,
घूंटी-घूंटी देखूं नै भागे।
ओ म्हारी रानी, चाल ऐसी ठाड़ी,
ज्यूं कुण्डल में झूमे मारी भाग्य रेखा साड़ी।
रिफ्रेन / मुखड़ा:
घूँघट खोल दे जरा धीरे से,
नैनां रो जादू चाल करे घणे सीरे से।
घूँघट खोल दे जरा धीरे से...
अंतरा 2:
पायल बोले थारी चाल में रस है,
गजरा सजीओ, माथे बिंदोरी जस है।
ओ साँवरिया, थारे प्रेम री छाँव,
जीवन री धूप में तू बनी मेघ मल्हार।
रिफ्रेन (दोहराव):
घूँघट खोल दे जरा धीरे से,
प्रीत री बातें करूं थारे ही सिरे से।
घूँघट खोल दे जरा धीरे से...
अंतरा 3:
ओढ़णी रो रंग लागे सूरज सूं लाल,
थारी एक झलक पे वारूं सौ-सौ ढाल।
ओ मने नै देख ले इक बार खुलके,
घूँघट में छुपियो पायल रो धमाल।
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