ॐ नमः शिवाय, उड़ती हैं जिंदगानी,
कन्या कहे छांव में, बहे प्रेम की कहानी।
नयनों में ताले, जपती वो नाम,
शिव शंकर, प्यार बिना किसी धाम।
सती से पार्वती, तप की आग में जलती,
हर धड़कन में बसी, प्रेम की हिलती।
योगी भस्म लगाए, लेके प्रेम का रस,
आकर्षित हुआ मन, तांडव में खड़ा नृत्य।
[Build-up]
शिव-पार्वती, अमर यह दास्तान,
प्रेम के इस राग में छुपा विश्व का ज्ञान।
तपस्या का फल, प्रेम का घेरा,
शक्ति ने अपनाया, याकि वो खेरा।
[Trap Break]
ना रत्न, ना आभूषण की कुरा,
बांसुरी की तान में, भूले ना जो ज़रा।
भक्तिभाव में भीगी, जब सुनी शिव की मनोवाणी,
कन्याएँ कहें, महादेव का है दीवाना।
दिगंबर आंगन में, शक्ति बनी खुदाई,
हर लय में, घुली प्रेम की चढ़ाई।
तांडव की लहर में, छुपा लगाव अद्भुत,
योगी ने बताया, प्रेम का ये बुनियाद गहरा।
[Freestyle]
जग में जब भी बहेगा, प्रेम का ये जल,
सुनिएगा नाम उनका, बनाएँगे दिलों का हल।
शिव बिना अधूरी है, शक्ति बिना दुनिया खामोश,
आओ चलें संग, करें प्रेम का अहसास गर्जना गोष्ठ।
[Spoken Word]
शिव-पार्वती, प्रेम की सूरत,
भक्ति, योग और शक्ति, अद्भुत की महूरत।
हर दिल में दीप जलाएं,
जिन्होंने प्रेम को ईश्वर बनाया।
[Fade-Out]
शिव-पार्वती, अमर प्रेम की कहानी,
सूनों इस राग को, बहे प्रेम की निशानी।
ॐ नमः शिवाय… प्रेम का है संवाद,
हर प्रेम में बसी, ये शिव की ताज।