कोरस)
दिल को छू गई तेरी बात कोई,
रूह में उतर गई मुलाक़ात कोई,
जैसे दुआ बन के आई हो तू,
या फिर खुदा की सौगात कोई।
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अंतरा 1:
तेरी झलक ने हुस्न की ताबीर लिखी,
तेरे सुकून ने दिल की तहरीर लिखी,
हर साँस में तेरा एहसास बसा,
हर धड़कन ने तुझसे ही तक़रीर लिखी।
आँखों से निकले अश्क भी मुस्कुराए,
जब तेरा नाम जुबां पे आया,
मुझसे मेरा चैन छिन गया,
पर तुझमें ही सुकून भी पाया।
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(कोरस दोहराएं)
दिल को छू गई तेरी बात कोई...
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अंतरा 2:
तू दर्द भी है, तू मरहम भी,
तू ख़्वाब भी है, तू अलम भी,
तेरी यादों में जलते हैं दीपक,
तू रात भी है, तू शबनम भी।
तेरे बिना ये दिल अधूरा,
तेरे साथ तो जहां मेरा,
तेरी सदा में है राहत जैसी,
जैसे हर लफ़्ज़ हो सवेरा।
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(कोरस दोहराएं)
दिल को छू गई तेरी बात कोई...
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अंतरा 3:
तेरे सजदे में ये दिल झुका है,
तेरी मोहब्बत से रौशन फ़िज़ा है,
तेरी बंदगी में जो सुकून मिला,
वो किसी इबादत में कहाँ मिला?
तू मिले तो जहां मिले मुझको,
तू ना हो तो वीरान है,
तेरे नूर से रोशन हर लम्हा,
वरना ये दिल परेशान है।
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(अंतिम कोरस)
दिल को छू गई तेरी बात कोई,
रूह में उतर गई मुलाक़ात कोई,
जैसे दुआ बन के आई हो तू,
या फिर खुदा की सौगात कोई।
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