(उत्सव की धुन)
बन्ना रे, बन्नी को लिवा ले जा,
सज धज के, दुल्हन बना ले जा।
माथे पे बिंदिया चमक रही,
कानन में झुमका झूल रहा,
लाल लहंगा, चूड़ियों की खनक,
तू मेरी हंसी, मैं तेरा रंग।
घुंघरू बाजे, पायल में,
मेंहदी रची है हाथों में,
माँग भरी है सिंदूर से,
सपने सजे हैं नज़रों में।
बन्ना रे, बन्नी को लिवा ले जा,
सज धज के, दुल्हन बना ले जा,
खुशियों की हो बहार कहीं,
सपनों की डोर में बसा ले जा।
दुल्हनिया की विदाई का ये पल,
हर एक आँख में भर आया हल,
सखी सहेलियाँ, साथ में गाती,
खुशियों की रागिनी सुनाती।
बचपन की यादें, दिल में बसी,
बन्ना-बहन का रिश्ता खास है।
नयनों में काजल, बिंदिया का जादू,
नसीब में लिखी जब ये बात है।
बन्ना रे, बन्नी को लिवा ले जा,
सज धज के, दुल्हन बना ले जा,
खुशियों की हो बहार कहीं,
सपनों की डोर में बसा ले जा।
[Solo]
(साज का प्यारा संगम, वाद्ययंत्रों की धुन)
चल साथ तेरे, मैं यहीं रहूँ,
तेरे बिना, ना हो सन्नाटा,
जगमग चांदनी, फूलों का रस्ता,
तू है जहाँ, मैं हूँ वहीं सबता।
(धीरे-धीरे का संगीत)
बन्ना रे, बन्नी को लिवा ले जा,
सज धज के, दुल्हन बना ले जा,
प्यारे सपने, तेरे संग सजे,
ये बंधन, प्यार में बसा ले जा।
[Fade-Out]
(संगीत का घटता स्वर, सजीवता के साथ)