ये कहानी है, अकलेपन की,
एक लड़के की, हिम्मत की।
अकेला लड़का, शहर की गलियों में,
सपने बड़े लेकिन हाथ खाली हैं।
कोई पूछे ना हाल, कोई दे ना सहारा,
बस खुद ही लड़ना, यही है किनारा।
अकेला लड़का, फिर भी चलता,
गिरा कई बार, फिर भी संभलता।
दुनिया बोले हार मान ले,
पर मैं कहूं, मैं ना थकता!
बचपन में सीखा दर्द का मतलब,
अपनों ने छोड़ा, पर हिम्मत ना घटा।
रातों में जागा, खुद से लड़ा,
कलम मेरी आग, और बीट पे पड़ा!
अकेला लड़का, फिर भी चलता,
गिरा कई बार, फिर भी संभलता।
दुनिया बोले हार मान ले,
पर मैं कहूं, मैं ना थकता!
अब वक्त मेरा, अब मैं चमकूंगा,
ग़म को जलाकर, खुद को तराशूंगा।
रास्ते मुश्किल, मंज़िल दूर सही,
पर जीत मेरी, ये लिखी हुई!
[Spoken Word]
तो सुन ले दुनिया, अब मैं ना रुकूंगा,
अपनी कहानी खुद ही लिखूंगा।
अकेला लड़का, पर हौसला बड़ा,
देख लेना, कल मैं चमकूंगा,
हर एक चीज़ में, मेरे संघर्ष की छाया,
मेरे इरादों की है, एक अलग साया।
[Fade-Out]
अकेला लड़का, फिर भी चलता,
सपनों की रोशनी में, अब वो चमकता!