अंतरा 1)
तेरे बिना अधूरा हूँ मैं,
जैसे चाँद बिना रात अधूरी।
तेरे बिना ये दिल मेरा,
लगता है कोई बात अधूरी।
तेरी हँसी में जादू है,
तेरी नजरों में है बहार।
तू पास रहे तो हर पल लगे,
जैसे खिला हो गुलज़ार।
(कोरस)
तेरे संग चलूँ मैं हर डगर,
बस तुझमें ही है मेरा शहर।
तू जो मिले तो क्या कमी,
बाँध लूँ तुझे अपनी नज़रों से अभी।
(अंतरा 2)
तेरी बातों में सुकून है,
तेरी चुप्पी में भी प्यार है।
तू कुछ कहे या ना कहे,
दिल समझ जाता इज़हार है।
छोटे छोटे ख्वाब हमारे,
तेरे संग बड़े हो जाएं।
तेरी बाहों में खो जाऊँ,
दुनिया से जुदा हो जाएं।
(कोरस दोहराव)
तेरे संग चलूँ मैं हर डगर,
बस तुझमें ही है मेरा शहर।
तू जो मिले तो क्या कमी,
बाँध लूँ तुझे अपनी नज़रों से अभी।
(ब्रिज)
तेरा नाम लूँ तो मुस्काऊँ मैं,
तेरे ख्यालों में ही समाऊँ मैं।
तू पास हो तो लगे यूँ ही,
हर दिन नया बहारों जैसा हो।
(अंतिम लाइन)
तेरे बिना अधूरा हूँ मैं,
तेरे साथ तो पूरा जहाँ हूँ मैं।
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